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लेखनी प्रतियोगिता -21-Dec-2023 मेरी सर्वोत्तम दोस्त



शीर्षक = मेरी सर्वोत्तम दोस्त




वक़्त जैसा भी हो अच्छा या बुरा गुजर ही जाता है और उसी दौरान इंसान को अच्छे और बुरे का आभास भी करा जाता है बुरा वक़्त किसका नही आता राजा को भी रंक बनते देर नही लगती  ज़ब वक़्त का पहिया चलता है  जो बुरे वक़्त में साथ दे उसके साथ कदम से कदम मिला कर खड़ा रहे उसे दोस्त कहते है लेकिन जो अपने दोस्त की तरक्की को अपनी तरक्की समझें उसके मन में अपने दोस्त के प्रति जरा सी भी ईर्ष्या की भावना न हो उसे आज के युग में सर्वोत्तम दोस्त की उपाधि देना सबसे उचित रहेगा


पिता वो वाहिद शख्स जो अपने बेटे या बेटी को उससे भी ज्यादा सफल देखने की इच्छा मन में रखता है वो भी बिना किसी द्वेष के लेकिन कुछ लोगो के जीवन में पिता का साया बस कुछ चंद लम्हात तक ही सीमित रहता है किसी का साथ पिता से उसके बचपन में ही छूट जाता है तो किसी का कुछ उम्र गुजर जाने के बाद खुशकिस्मत होते है वो बच्चे जिनकी सफलता पर दूर खड़ा पिता तालियां बजा रहा होता है। औलाद के लिए उसका पिता ही उसका सर्वोत्तम दोस्त होता है


लेकिन मेरे जीवन से मेरे सर्वोत्तम दोस्त का साया बहुत जल्द ही उठ गया था ज़ब मैं मात्र 15 बरस का था उसके बाद से हमारा जीवन बहुत काँटों भरा गुजरा माँ ने जैसे तैसे करके हम तीन बहन भाइयो को रूखी सूखी खिला कर बहुत कठिनाइयों का सामना कर हमें पाला पोसा


उन दिनों भी कुछ रिश्तेदारों ने और पापा के दोस्तों ने एक दोस्त होने का फ़र्ज़ बखूबी निभाया हमारा कदम कदम पर बहुत साथ दिया मेरे भी कुछ दोस्त थे जो कभी मेरी पढ़ाई में तो कभी वैसे ही थोड़ी बहुत मदद कर दिया करते थे उनकी वो मदद मुझे आज भी याद है और उनका मैं तेह दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ


उसके बाद हम सब लोग जैसे तैसे करके अपने हिस्से की खुशियाँ ढूंढ़ने लगे मैं घर का सबसे बड़ा बेटा था जिसके चलते पिता के बाद सारी जिम्मेदारी मुझ पर थी जिसे मैंने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाया मुझे लिखने का शौक बचपन से ही था कभी कविताएं तो कभी कहानियाँ लिखा करता था लेकिन हालातों के चलते कागज और कलम दोनों से ही साथ छूट सा गया घर की जिम्मेदारियों ने मौका ही नहीं दिया कि दोबारा से अपने शौक की और कदम बढ़ाया जाए


मेरे से छोटे बहन और भाई के सपनों को पूरा करना ही मेरा लक्ष्य बन गया था मैं उनका भाई नहीं बल्कि एक अच्छा दोस्त बन कर परवरिश करना चाहता था जो की मैंने किया भी उनकी परवरिश करते करते उन्हें अपने अपने मकामों पर पंहुचाते पंहुचाते कब समय निकल गया पता ही नही चला


और फिर समय आ गया था मेरी शादी का मुझे बस एक सच्चे साथी की जरूरत थी मुझे लड़की से या लड़की वालो से कुछ ज्यादा नहीं चाहिए था बस एक संस्कारी लड़की जो मेरे घर को अच्छे से चला सके इस तरह की लड़की की बस ख्वाहिश थी मेरी

कहते है न इंसान को उसके कर्मो का फल इसी दुनिया में मिलता है शायद आरती का मेरी पत्नि के रूप में मेरी जिंदगी में आना मेरे किसी अच्छे कर्म का ही सिला रहा होगा मेरी जिंदगी के हर उतार चढ़ाव में जिस तरह उसने एक पत्नि नहीं बल्कि एक दोस्त बनकर मेरा साथ दिया  मैं तो अपने उसी काम में खुश था जिसे विधाता ने मुझे सौंप दिया था बनिए की दुकान पर हिसाब किताब का काम लेकिन एक दिन यूं ही घर की सफाई के दौरान बरसों पहले लिखी गयी वो कविताएं और कहानियाँ जिन्हे मैं लिख कर भूल गया था कि कभी मेरे अंदर एक रचनाकर भी हुआ करता था वो इनके हाथ लग गयी मेरी लिखी वो कविताएं और कहानियाँ पढ़ कर और मेरी सरहाना कर एक बार फिर से उन्होंने मेरे अंदर के लेखक को बाहर निकाल दिया था


उनकी वो छोटी सी सराहना और मेरी हौसला अफ़ज़ायी इस कदर मुझ पर असर कर गयी की जो मेरे अंदर का लेखक घर की जिम्मेदारियों के बोझ तले कही दब सा गया था वो एक बार फिर उभरने लगा था और इस तरह उभर कर सामने आया कि आज मुझे इस मंच पर ला खड़ा कर दिया और इस पुरुस्कार से मुझे नवाज़ा गया

आज मैं लेखन के क्षेत्र में जो भी सफलता प्राप्त कर पाया हूँ उसका सारा श्रय मेरी धर्म पत्नि आरती को जाता है आज मेरी सफलता पर जितना खुश मैं हूँ यकीन के साथ कह सकता हूँ कि उससे कही ज्यादा वो है क्यूंकि वही तो मेरी सर्वोत्तम दोस्त है जिन्हे मेरी सफलता पर मुझसे ज्यादा ख़ुशी हो रही होगी मुझे ख़ुशी है कि ईश्वर ने मुझे दोस्त समान पत्नि दी जिसने न मेरी कला को उभारने में सिर्फ मेरी मदद ही नहीं की बल्कि मुझे हर दम कुछ नया लिखने पर प्रेरित भी किया

ये पुरुस्कार मैं अपनी पत्नि आरती को भेंट करना चाहूंगा अगर वो न होती तो शायद ये प्रसिद्धि जो मुझे मिली है लेखन के क्षेत्र में वो नहीं मिलती ये कहकर मंच पर खडे अरविन्द ने अपनी पत्नि को बुलाया और अपना पुरुस्कार उसके हवाले कर दिया ये देख आरती की आँखे भर आयी


समाप्त....
प्रतियोगिता हेतु....













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7 Comments

HARSHADA GOSAVI

06-Jan-2024 09:29 AM

👍👌👌👌👌

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Rupesh Kumar

22-Dec-2023 04:15 PM

V nice

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Gunjan Kamal

22-Dec-2023 02:47 PM

👏👌

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